उम्मीद पर करने लगी
संवेदना हस्ताक्षर।
हैं ख़्वाब आँखों के
पखेरू हो गए।
विश्वास के पर्वत
सुमेरू हो गए।।
आशा अँगूठा छाप थी
अब हो गई है साक्षर।
पल्लव को हरियाली
रही है दुलार।
छलक पड़ा ऋतुओं का
मौसम से प्यार।।
चमकीले हैं मोती जैसे
चौपाई के अक्षर।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें