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तस्वीर (कविता)

यह तस्वीर कभी पूरी नहीं होगी
इसमें एक औरत है
वह पहाड़ों की ओर जा रही है
पहाड़ इतने दूर हैं कि
तस्वीर पूरी नहीं हो सकती है

पहाड़ तक जाना
कई कहानियों का पूरा होना है
बहुत सारी कहानियों से एक तस्वीर बनती है

इस तस्वीर को कम से कम अल्फ़ाज़ में
तुम्हें दिखलाना चाहता हूँ
कितनी कहानियाँ कहने के लिए मेरे लफ़्ज़ राज़ी होंगे
मैं नहीं जानता

तस्वीर में पहाड़ हैं और उन तक जाती सड़क है
औरत के बदन पर कपड़े हैं
उसका जिस्म है
उसकी रूह है
यह तस्वीर कभी पूरी नहीं होगी

दो लफ़्ज़ तो उसके फटे जूतों को चाहिए
बहरहाल, मैं यहीं रुकता हूँ
बीच में रुकना कविता की नियति है
कविता ने अनगिनत तस्वीरों को समेट लिया है
यह तस्वीर कभी पूरी नहीं होगी।


            

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