स्वामी विवेकानंद ऐसे गुरुवर के शिष्य,
पढ़ लेते चेहरा देखकर ही जो भविष्य।
भुवनेश्वरी देवी माता विश्वनाथ थे पिता,
१२ जनवरी १८६३ में जन्में कलकत्ता।।
इनके बचपन का नाम नरेन्द्र नाथ दत्त,
२५ की उम्र में पहन लिए गेरुआ वस्त्र।
स्वामी रामकृष्ण परमहंस के थे शिष्य,
अलग ही पहचान बनाई देशों में सर्वत्र।।
पैदल ही किया इन्होंने भारतवर्ष यात्रा,
बुद्धी में तेज़ सेवा भावी इनकी आत्मा।
अनेंक परेशानियों का किए ये सामना,
भारत का गौरव बढ़ाएँ ये ऐसी आत्मा।।
रामकृष्ण मिशन शाखा स्थापित किया,
विदेशों में भी नाम गौरवांवित ये किया।
गुरुभक्ति गुरुसेवा गुरुप्रति अनन्यनिष्ठा,
अत्यन्त ग़रीबी पर अतिथि सेवा किया।।
अपनें को सदा ग़रीबों का सेवक कहते,
दुःख कष्ट पीड़ा में सहयोगी ख़ुद बनते।
न करतें लापरवाही नहीं किसी से घृणा,
इसलिए आज हमसब उन्हें याद करते।।
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