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सुनो तो मुझे भी ज़रा तुम (ग़ज़ल) Editior's Choice

सुनो तो मुझे भी ज़रा तुम।
बनो तो मिरी शोअरा तुम।।

ये सोना ये चाँदी ये हीरा,
है खोटा मगर हो खरा तुम।

तिरा ज़िक्र हर बज़्म में है,
सभी ज़िक्र से मावरा तुम।

मिरी कुछ ग़ज़ल तुम कहो अब,
ख़बर है हो नुक्ता-सरा तुम।

मिलो भी कभी घर पे मेरे,
करो चाय पर मशवरा तुम।

थी ये दोस्ती कल तलक ही,
हो अब 'अर्श' की दिलबरा तुम।


लेखन तिथि : 10 अप्रैल, 2021
अरकान : फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
तक़ती : 122 122 122


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