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सुभाष: भारत माँ का लाड़ला (दोहा छंद)

सदा अथक संघर्ष ने, माँ भारत के त्राण।
आत्मबल विश्वास दे, कर सुभाष निर्माण।।

भारत माँ का लाडला, महावीर सम पार्थ।
मेधावी था अतिप्रखर, दानवीर परमार्थ।।

मेरूदंड स्वाधीनता, महाक्रान्ति संघर्ष।
कर तन मन अर्पण वतन, तज शासन उत्कर्ष।।

बँधी ग़ुलामी पाश में, भारत माँ अवसाद।
देखी सुभाष जन यातना, गोरों का उन्माद।।

आ उबाल रग ख़ून में, गोरों से प्रतिशोध।
बीच अहिंसा सत्य पथ, बने क्रान्ति अवरोध।।

जैसे को तैसा करें, रक्त के बदले रक्त।
थी सुभाष रणनीति यह, गरम पंथ आशक्त।।

सजी हिन्द की फ़ौज अब, शंखनाद जय हिन्द।
आज़ादी उपहार मैं, दूँ उत्तर से सिन्ध।।

तुम सब अपना ख़ून दो, दलन करूँ अंग्रेज।
दूँगा मैं स्वाधीनता, रखना वतन सहेज।।

कोटि-कोटि सैलाब जन, रक्तदान तैयार।
नव उमंग हर्षित चला, माँ भारत उद्धार।।

गोरों की पैनी नज़र, थी सुभाष चहुँओर।
किया इकट्ठा सैन्यबल, महायुद्ध घनघोर।।

बर्मा से होते हुए, पहुँचे वे जापान।
रनिवासर तैयारियाँ, वतन मुक्ति अभियान।।

आज़ाद हिन्द फ़ौज अब, रण को था तैयार।
सहमा था शासन ब्रिटिस, भौंचक्के गद्दार।।

भर उड़ान जापान से, वे मंचुरिया देश।
आई सन् पैंतालिसी, दुखद आर्त संदेश।।

वायुयान हो दुर्घटित, सहसा ताईवान।
शोकाकुल जन मन वतन, सुन सुभाष अवसान।।

अस्त हुआ रणबाँकुरा, भारत माँ की लाज़।
हवन कुण्ड स्वाधीनता, बलिदानी सरताज।।

था संगम गुण कर्म का, त्याग शील सम्मान।
नायक था जनता वतन, प्रगति राष्ट्र अरमान।।

है कृतज्ञ माँ भारती, संसदीय गणतंत्र।
आभारी करती नमन, जनता देश स्वतंत्र।।

साश्रु नमन श्रद्धाञ्जली, नेताजी जयकार।
दे निकुंज कवितावली, नत कृतज्ञ उपहार।।


लेखन तिथि : 23 जनवरी, 2022
            

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