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सौंदर्य (गीत)

तुम खुले केश छत पे ना आया करो,
शब के धोखे में चँदा उतर आएगा।
बेसबब दाँत से होंठ काटो नहीं,
क्या पता कौन बे-वक़्त मर जाएगा।

होंठ तेरे गुलाबी शराबी नयन,
संगमरमर सा उजला है तेरा बदन।
इतना सजने-सँवरने से तौबा करो,
टूट कर आईना भी बिखर जाएगा।
शब के धोखे में चँदा उतर आएगा।

सारी दुनिया ही तुम पर मेहरबान है,
देख तुमको फ़रिश्ता भी हैरान है।
मुसकुरा कर अगर तुम इशारा करो,
आदमी क्या ख़ुदा भी ठहर जाएगा।
शब के धोखे में चँदा उतर आएगा।

तुम तसव्वुर की रंगीन तस्वीर हो,
कौन होगा बशर जिसकी तक़दीर हो।
मेरे गीतों को होठों से छू लो ज़रा,
बेसुरा जो वो सुर में उतर आएगा।
शब के धोखे में चँदा उतर आएगा।


सतीश मापतपुरी
सृजन तिथि : दिसम्बर, 2020
            

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