न जाओ छोड़कर मोहन, ये राधा रह न पाएगी।
बहेंगे अश्रु आँखों से, अधर मुस्कान जाएगी।
हुई क्या भूल मुझसे जो, दिया है ग़म हमे गहरा।
हमारा छोड़कर गोकुल, कन्हैया तुम चले मथुरा।
तुम्हारे बिन भला राधा, उमर कैसे बिताएगी।
बहेंगे अश्रु आँखों से, अधर मुस्कान जाएगी।
रुदन करते सभी ग्वाला, सिसकतीं गोपियाँ सारी।
दुखित हैं नंद जसुदा भी, विकल हैं बाल नर-नारी।
बिचारी माँ जसोदा अब, किसे माखन खिलाएगी।
बहेंगे अश्रु आँखों से, अधर मुस्कान जाएगी।
कदम पर बैठकर अब कौन, वस्त्रों को चुराएगा।
मधुर वंशी बजाकर कौन, मधुवन में बुलाएगा।
रचाया रास जो तुम सँग, वो बातें याद आएँगी।
बहेंगे अश्रु आँखों से, अधर मुस्कान जाएगी।
अकेला छोड़कर हमको, चले मथुरा को जाओगे।
भुलाकर भी हमे कान्हा, नहीं तुम भूल पाओगे।
हमारी धड़कने अब तो, विरह का राग गाएँगी।
बहेंगे अश्रु आँखों से, अधर मुस्कान जाएगी।
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