श्री राम के नाम में बहुत जान,
कोई लेता सुबह तो कोई शाम।
नही था इनको कोई अभिमान,
मर्यादा पुरुषोत्तम यह श्री राम।।
ठाठ इनके राजमहलों के सारें,
दशरथ और कौशल्या के तारें।
माता जानकी से विवाह रचाएँ,
दिलों में बसे है ये आज हमारे।।
त्याग दिया वचनों के ख़ातिर,
यह सुख और चैन सारे अमन।
श्रीराम आज सब हृदय बसे है,
गवाह है चाँद, तारें और गगन।।
दशरथ जैसे पिता नही मिलेंगे,
पत्नी न मिलेगी जानकी जैसी।
भरत लक्ष्मण से भाई न मिलेंगे,
भक्त नही मिलेंगे हनुमान जैसे।।
इस परिवार के संस्कार निराले,
दुःख और ग़म को सहे है सारे।
प्यार, तड़प सभी इनसे सीखों,
धर्म कर्म व वचन पर चलें सारे।।
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