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श्री लाल बहादुर शास्त्री (कविता) Editior's Choice

भारतीय संस्कृति के वह परिचायक,
नैतिक मूल्यों के सदैव रहे उन्नायक।
भारत सुत श्री लाल बहादुर शास्त्री,
जटिल समस्याओं के वह निर्णायक।

तिथि दो अक्टूबर सन् उन्नीस सौ चार,
हुआ भारतभूमि पर युगपुरुष अवतार।
पिता शारदा प्रसाद हुए थे अति गर्वित,
माँ रामदुलारी का मिला अथाह प्यार।

बचपन बड़े संघर्षों से जूझकर बीता,
पितृ देहावसान से हुआ जीवन रीता।
विषम परिस्थितियाँ बनी पाठशाला,
जीवन रण धैर्य बुद्धि संयम से जीता।

पराधीनता का था तब दुरूह जीवन,
अंग्रेजों का अत्याचारी कठोर शासन।
स्वतंत्रता संग्राम का जब बिगुल बजा,
कूद पड़े समर में छोड़कर घर आँगन।

आंदोलनों में महती भूमिका निभाई,
शहीदों की मेहनत आख़िर रंग लाई।
अंततः देश अंग्रेजों के चंगुल से छूटा,
सादगी ईमानदारी से लड़ी हर लड़ाई।

द्वितीय प्रधानमंत्री के समर्थ रूप में,
मुश्किल हालातों की प्रचंड धूप में।
राजनैतिक सरगर्मियों का था परिवेश,
दृश्य तीव्र गतिविधियों के स्वरूप में।

किसानों की समस्याएँ थी सुलझाई,
रक्षा प्रहरियों को सुविधाएँ भी बढ़ाई।
'जय जवान जय किसान' दिया नारा,
महिला संवाहकों की नियुक्ति कराई।

उनके प्रधानमंत्रीत्व के कठिन काल में,
भारत देश के अत्याधिक बिगड़े हाल में।
भारत पाकिस्तान मध्य युद्ध छिड़ गया,
पाकिस्तान हारा फँसकर बुद्धि जाल में।

भारत पाक शांति समझौता हुआ बाद में,
उचित रास्ता निकाला समस्त विवाद में।
ताशकंद में समझौते पर किए हस्ताक्षर,
वहीं क्रूरकाल ने उन्हें छीन लिया साथ में।

मरणोपरांत मिला भारत सर्वोच्च सम्मान,
सत्यनिष्ठा देशभक्ति ने सदा बढ़ाई शान।
लाल बहादुर शास्त्री थे महान राष्ट्रनायक,
भारतरत्न से सुशोभित हुआ उनका मान।।


रचनाकार : सीमा 'वर्णिका'
लेखन तिथि : 2 अक्टूबर, 2021
            

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