सिसक रही माँ भारती, साश्रु वतन संतान।
खोकर विपिन सपूत को, अमर शौर्य बलिदान।।
आज पार्थ अवसान सुन, शोकाकुल जन देश।
शान तिरंगा वतन खो, विलख रहा उपवेश।।
वीर काल विकराल था, शत्रुंजय सिरमोर।
थर्राता रिपुदल सतत, राष्ट्र मुकुट यश मोर।।
आज पराजित काल से, हुआ विजेता देश।
बिपिन वीर तन तज वतन, भक्ति प्रीति संदेश।।
बड़ा संयमी साहसी, धीर वीर गंभीर।
योद्धा अति रणबांकुरा, तेजस्वी शूरवीर।।
निर्धारक रणनीति का, नायक सैन्य महान।
नयी सोच तकनीक नित, राष्ट्र सुरक्षा शान।।
देवालय सन्तति प्रखर, लिख गाथा नव शौर्य।
कीर्तिमान स्वर्णिम वतन, विजयी सम था मौर्य।।
थल जल नभ गौरव बिपिन, महावीर था युद्ध।
तन मन धन सेवा वतन, सच्चरित्र मन शुद्ध।।
सिंहनाद रण पार्थ सम, शान्ति दूत सम सार्थ।
देशभक्ति रग-रग भरा, मानक था पुरुषार्थ।।
वीर गोरखा बांकुरा, सुत पौड़ी गढ़वाल।
भारत माँ का लाडला, हँसमुख नित ख़ुशहाल।।
परमवीर सैनिक विपिन, रणकौशल मतिमान।
दूरदर्शी चिन्तक प्रखर, तत्पर नित बलिदान।।
सजग अजातशत्रु अभय, समदर्शी समवेश।
महारथी श्रीकृष्ण सम, नीति प्रीति संदेश।।
फैला चहुँ दिशि शोक है, है कृतज्ञ नत देश।
करे रुदन जनता नमन, श्रद्धांजलि वीरेश।।
आन बान सम्मान बन, रखा राष्ट्र की शान।
किया सुरक्षित चहुँ वतन, स्वाभिमान जयगान।।
गर्वित है माँ भारती, रखी कोख की लाज।
सुला रही माँ गोद में, ममताँचल हिय साज।।
कवि निकुंज सादर ऋणी, शत् शत् करे प्रणाम।
नश्वर तन मिल मृत धरा, अमर लोक गोधाम।।
तुम पर गौरव वतन, कालजयी बलधाम।
साश्रु नैन करती बिदा, अमर बिपिन अभिराम।।
अमर गीत शाश्वत जगत, युग-युग गाथा गान।
हर शहीद नायक बिपिन, नव भविष्य निर्माण।।
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