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श्रद्धांजलि: स्वर कोकिला लता मंगेशकर (दोहा छंद)

अस्ताचल लतिका लता, सुरभि गीत संसार।
देशरत्न सुर कोकिला, भवसागर से पार।।

प्रीत गीत संगीत की, सामवेद प्रतिरूप।
अवतारी माँ शारदा, धवल कीर्ति स्वर भूप।।

पंचम स्वर पिक गायिका, कालजयी वरदान।
चन्द्रकला शीतल मधुर, लता लवंगी तान।।

पद्मावती जग गायिका, पद्मविभूषण ताज।
दादा साहेब फाल्के, गरिमा भारत नाज।।

शान्ति कान्ति मृदुला प्रकृति, महाराष्ट्र थी रत्न।
अमर गीत माँ भारती, सार्थवाह थी यत्न।।

प्रीतिलता हृदतल सदय, ममतांचल करुणेश।
सत्यं शिव सुंदर प्रकृति, भक्ति प्रीति रत देश।।

कोटि कोटि धड़कन लता, मधु वसन्त मधु गान।
आन बान सम्मान जग, देश गान अभिमान।।

अभिनव गायन कोकिला, मधुसावन मनमोर।
विरह राग बरसी लता, गायन मिलन चकोर।।

भाषाविद पहचान सुर, यादों की आवाज।
क्रान्ति वीर यश गायिका, शान्ति दूत ऋतुराज।।

रोम-रोम जय हिंद स्वर, तन्मय हिन्दूस्तान।
सुरभित वन्दे मातरम, राष्ट्र गान थी शान।।

शानदार मृदुला गला, गीत धरोहर देश।
तरु वन कानन गिरि शिखर, कायल स्वर उपवेश।।

मानवता पहचान थी, नैतिकता पथ मान।
लज्जा श्रद्धा मानदा, आज लता अवसान।।

युग-युग अरुणिम गायिका, सारस्वत वरदान।
सुर साम्राज्ञी थी लता, हर पीढ़ी थी मान।।

हुई लीन चिर शान्ति में, ब्रह्मलीन गोलोक।
कला जगत मानक क्षितिज, फैला जन मन शोक।।

खालीपन है देश में, लता गमन चिर शान्ति।
शोकाकुल रवि शशि प्रभा, मलिन गीत की कान्ति।।

सप्तसिन्धु भाषा विविध, गीत लता सुर तान।
नवरस ललिता गायिका, नारी शक्ति महान।।

गीता थी सोलह कला, संगीता मधुमास।
विप्रलंभ शृंगार रस, अमृत प्रणय मिठास।।

सुर निनाद अभिराम हिय, शौर्य गीत बलिदान।
दुख सागर गगमगीन स्वर, विरह मिलन मुस्कान।।

दीपशिखा आशा लता, दीनानाथ कुल लाज।
भारत माँ स्वर आत्मा, जन मन गीत समाज।।

गाथा स्वर्णिम गायिकी, लिखी स्वर्ण इतिहास।
माँ बहना दीदी लता, तनया देश विलास।।

हर्षित हिय भारत धरा, लता सुता निधि गान।
नश्वर काया कोख में, साश्रु समाती मान।।

गीत लता युग-युग अमर, भुला न पाएँ लोग।
साश्रु नमन श्रद्धा सुमन, दे निकुंज मन योग।।


लेखन तिथि : 6 फ़रवरी, 2022
            

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