देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

शिक्षित बनो संगठित रहो संघर्ष करो (कविता)

भारत-वर्ष को देकर गएँ है वो बाबा संविधान,
युगों-युगों तक याद करेंगा आपकों हिंदुस्तान।
सबसे अलग वो कर गुज़रें रचा ऐसा इतिहास,
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई पहले आप इन्सान।

ऊँच-नीच व जाति-धर्म का किया सदा विरोध,
करते रहें हमेशा हर-पल नई चीज़ों पर शोध।
नामुमकिन को मुमकिन आपने करके दिखाया,
आदर्शों पर चलें हमेशा बाबा आंबेडकर बौद्ध।।

क्या-उचित क्या-अनुचित सारी बातें समझाई,
विश्व को जगाकर सो गएँ ऐसी लड़ी है लड़ाई।
सारे विश्व में आप जैसा विद्वान हुआ ना कोई,
कहा क़लम में बहुत है ताक़त ख़ूब करें पढ़ाई।।

कई मुसीबतें देखी और कई परेशानियाँ झेली,
है बाबा साहेब की जीवनी की अनेक कहानी।
१४ अप्रेल, १८९१ को जन्में हो दलित परिवार,
शिक्षित होना है ज़रूरी समझाया स्वाभिमानी।।

बाबा अपनें वचनों में सदैव यहीं बात कहते थें,
रामजी सकपाल पिता व भीमाबाई के बेटे थें।
शिक्षित बनो संगठित रहो संघर्ष करो कहते थें,
अमेरिका लंदन जर्मन से उपलब्धियाँ पाएँ थे।।


रचनाकार : गणपत लाल उदय
लेखन तिथि : 5 अप्रैल, 2022
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें