जब बनने लगा था यह नगर,
चकित हुई थीं
झील के गर्भ में पलती मछलियाँ।
सड़कों पर उतर आया था
नए वाहनों का शोर
और सबके सपनों का क़ाफ़िला
चल पड़ा था पीछे-पीछे।
जब रास्ते रौंदे गए
तब जाना
कि शहर क्या होता है!
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