देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

सत्य (चर्चरी छंद)

प्रेम राग बनी रहे, हर हाल में सच बोलिए।
बात से कब क्या घटे, तकरार में रस घोलिए।।

आसमाँ झुकता रहा, उस व्यक्ति के पग में सदा।
धर्म संकट में घिरे, फिर भी नही कटुता लदा।।

सत्य ही अभिसार है, यह रूप रंग बना ढले।
मौत है गर सामने, फिर भी वहाँ बढ़ता चले।।

त्याग है तप प्यार है, यह साँस है गुलज़ार है।
ज़िंदगी हँसते खड़ी, भव पार का पतवार है।।


लेखन तिथि : 2020
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें