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सैनिक (कविता)

न हँसता है, न रोता है,
वो रातों को न सोता है,
जो जीता है अपने देश के लिए,
ऐसा तो केवल सैनिक ही होता है।

वो धीर है, गम्भीर है
निडर है और वीर है,
जो दुश्मन का कर दे सफ़ाया,
वो ऐसी दोधारी शमशीर है।

है शेर सी दहाड़ वो,
हिमालय सा पहाड़ वो,
भारत माँ का सच्चा रक्षक,
दुश्मन को देता पछाड़ वो।

है भारत माँ की शान वो,
तिरंगे की रखता आन वो,
हँसते-हँसते हो जाता है,
अपने वतन पर क़ुर्बान वो।

वो है तो हम हैं, गुलिस्ताँ है,
ये धरती है ये हिन्दोस्ताँ है,
हम तो जीते हैं अपनों कि ख़ातिर,
उसके लिए 'पंवार' सब कुछ भारत माँ है।


लेखन तिथि : अगस्त, 2010
            

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