रोज़ जोश-ए-जुनूँ आए,
साथ बख़्त-ए-ज़बूँ आए।
अब भला क्या सुकूँ आए,
हाँ भला अब ये क्यूँ आए।
हाल क्या है कहे क्या अब,
जब कहीं अंदरूँ आए।
हाल फ़र्ज़ी नहीं है कुछ,
ये नज़र जूँ-का-तूँ आए।
'अर्श' जो थी तरब वो ही,
बन के दर्द-ए-दरूँ आए।
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