देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

रिश्ता दोस्ती का (कविता)

सोया नही हूँ दोस्तों के लिए,
कुछ लिखता हूँ, दोस्तों के लिए।
यूँ तो ग़मज़दा है ज़िंदगी,
पर रोया नही हूँ दोस्तों के लिए।

ये शोहरत दौलत है किस के लिए,
ज़िंदगी को बस जीने के लिए।
रंगीन बन जाएगी यह ज़िंदगी,
यदि दोस्त मिल जाए जीने के लिए।

हम जीते हैं किस के लिए,
हम मरते हैं किस के लिए।
जीवन मधुर हो जाएगा,
दो पल जी लो दोस्ती के लिए।


रचनाकार : दीपक झा 'राज'
लेखन तिथि : 10 मार्च, 2003
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें