देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

रैदास प्रेम नहिं छिप सकई (दोहा छंद) Editior's Choice

रैदास प्रेम नहिं छिप सकई, लाख छिपाए कोय।।
प्रेम न मुख खोलै कभऊँ, नैन देत हैं रोय।।


रचनाकार : रैदास
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें