वाराणसी, उत्तर प्रदेश | 1850 - 1885
प्रेम सकल श्रुति-सार है, प्रेम सकल स्मृति-मूल। प्रेम पुरान-प्रमाण है, कोउ न प्रेम के तूल॥
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