देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

प्रकृति संरक्षण (गीत)

सुन बदरा रे!

हैं विकल जीव सारे,
शिथिल सब थके हारे।

तप्त हलक अधरा रे!
सुन बदरा रे!

सूखे ताल-तलैया,
अब कौन ले बलैया?

है लू का पहरा रे!
सुन बदरा रे!

लोभी मानव रोया,
नाहक में ही खोया।

अंध मूक बहरा रे!
सुन बदरा रे!

ठहर जा नादान हम,
लज्जित हैं आँखें नम।

घाव लगा गहरा रे!
सुन बदरा रे!
सुन बदरा रे!


लेखन तिथि : 2021
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें