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पूनम की चाँद (दोहा छंद)

सुहाग सेज पर बैठी, जब पूनम की चाँद।
तब पूरी हुई मेरी, वर्षो की फरियाद।।

आज जगत निहार रहा, कौन धनी है यार।
घनी अमावस की निशा, पूनम की उजियार।।

पंखुड़ियों सी है अधर, जैसे पुष्प गुलाब।
महक उठी मेरी सदन, तन-मन करे रुआब।।

कंचन काया कामिनी, काँच उम्र कचनार।
नहा कर दुग्ध धवल में, पसर गई रतनार।।

घूँघट तले छुईमुई, प्रणय मिलन की रात।
रसीली अधर लरजती, चुंब से बढ़ी बात।।

प्रलय सी तूफ़ान उठी, जब चीख़ पड़ी आह।
दो बदन तब एक हुए, दो आत्मा की राह।।

मुख पर है तेज़ आभा, चमक उठा घर द्वार।
कोटि-कोटि शुक्रिया प्रभु, दे दी ऐसी नार।।


लेखन तिथि : 2020
            

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