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पहली मुहब्बत (गीत)

हृदय पत्रिका पर प्रणय की कहानी,
नहीं भूल पाया वो यादें पुरानी।
हमारी हक़ीक़त थी वो,
पहली मुहब्बत थी वो।

नयन से नयन जब ये परिचित हुए थे,
वो दिल में हमारे प्रतिष्ठित हुए थे।
शुरू हो गया सिलसिला प्यार का फिर,
गली गाँव में नाम चर्चित हुए थे।

मैं दिन रात उसके सपन देखता था,
सजी सेज पर इक दुल्हन देखता था।
बड़ी ख़ूबसूरत थी वो,
पहली मुहब्बत थी वो।

मैं बर्बाद करता रहा व्यर्थ धन को,
प्रतीक्षित रहे एक उसके चयन को।
रखेगी हिना हाथ मम नाम की वो,
मैं सच मान बैठा था उसके कहन को।

उसे प्यार इतना अपरमित किया था,
की सर्वस्व अपना समर्पित किया था।
हमारी ज़रूरत थी वो,
पहली मुहब्बत थी वो।

मिलन की वो अंतिम अशुभ रात आई,
वो कहने अकल्पित मुझे बात आई।
शिथिल रह गया था हृदय तब हमारा,
ज्यों बोली कि द्वारे पे बारात आई।

नहीं तोड़ पाया था उसकी कसम को,
किया हँस के स्वीकार हर एक ग़म को।
हमारी शराफ़त थी वो,
पहली मुहब्बत थी वो।


लेखन तिथि : 1 मई, 2022
            

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