पीआ राम रसु पीआ रे। (टेक)
भरि भरि देवै सुरति कलाली, दरिआ दरिआ पीना रे।
पीवतु पीवतु आपा जग भूला, हरि रस मांहि बौराना रे।।
दर परि बिसरि गयौ रैदास, जनमनि सद मतवारी रे।
पलु पलु प्रेम पियाला चालै, छूटे नांहि खुमारी रे।।
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