जब टपकता है
बूँद-बूँद मोती-सा पानी,
कजरारे बादलों के संग
उड़ता है सहेली का मन।
मन की पाती
लिख नहीं पाती
कि अक्सर हो जाती है हैरान
कि देहरी पर
गाँव का पहरा है,
गाँव पर शहर का,
शहर मकानों के जंगल हो गए हैं
और आदमी?
आदमी के गुम जाने की ख़बर
किसे है?
किसे लिखे पाती?
किसे सौंपे थाती?
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