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पैसा बोलता है (कविता)

समय का पहिया तेज़ी से घूम रहा
आँखें फाड़कर देखिए
पैसा भी अब चीख़-चीख़कर बोलता है,
आजकल पैसा रिश्तों को
बहुत ख़ूबसूरती से तोलता है।
आज रिश्ते नहीं सिर्फ़ पैसे का महत्व है
ख़ून के रिश्तों में भी आज देखिए
सिर्फ़ पैसा ही महत्व रखता है।
माना कि पैसा सबकी ज़रूरत है
मगर रिश्तों की ज़रूरत कहाँ कम है?
यह और बात है कि अब हम बदल गए हैं
कुछ ज़्यादा ही आधुनिक हो गए हैं,
इसीलिए पैसे और सिर्फ़ पैसे को ही
अपना माई-बाप ही नहीं
भगवान भी समझ रहे हैं।
अब क्या कहें हम पैसों के बारे में
भगवान को भी आज
पैसों का घमंड दिखा रहे हैं,
अब हम नहीं पैसा बोलता है
माँ, बाप, परिवार, रिश्तेदार,
इष्ट मित्रों, समाज की बात छोड़िए
पैसा बोलता है यही बात आज हम
भगवान को भी समझा रहे हैं,
भगवान भी पैंसों के बोल
चुपचाप सुन समझ रहे हैं
मन ही मन मुस्कुरा रहे हैं।


लेखन तिथि : 29 दिसम्बर, 2021
            

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