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निराला संसार (कविता)

संसार बडा निराला है,
यह मात्र मधु का प्याला है।
जो भौतिक सुख में डूब गया,
वह इस सत्य को भूल गया।
उसको आगे भी जाना है,
मार्ग नया बनाना है।
नई पीढ़ी को राह दिखाना है,
सबके कष्टों को मिटाना है।

संसार बड़ा एक सागर है,
यह आशाओ का गागर है।
जिसके मन में आशा है,
उसने जीवन को जीत लिया,
ख़ुशियों की माला को गूँथ लिया।
पर जो व्यक्ति निराश है,
और करता नहीं प्रयास है।
उसका जीवन निरर्थक है,
और उसका जीना व्यर्थ है।

संसार एक बाज़ार है,
क्या सबके दिल में प्यार है।
कोई कपटी मक्कार है,
कोई सीधा दिलदार है।


रचनाकार : दीपक झा 'राज'
लेखन तिथि : 12 अक्टूबर, 2001
            

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