नव यौवन की नवल राह पर,
नवल स्वप्न की कलिका।
नव्य नवेली नयन नशीली,
नीरज मुख की मलिका।
गज गामिनि वह दर्प दामिनी,
कल-कल करती सरिता।
निर्झरिणी सी झर-झर झरती,
वह कविवर की कविता।
कोमल किसलय कुमकुम जैसी,
कनक कामिनी वनिता।
कोकिल कंठी कमल आननी,
वह प्रभात की सविता।
मृगनयनी वह मधुर भाषिणी,
पुष्पगुच्छ की लतिका।
कुंचित कृष्ण केश सिर शोभित,
वह कृष्ण नाग की मनिका।
रूपवती वह राग रागिनी,
वह ही रजनीगन्धा।
राधा रिद्धिमा रंग रँगीली,
रति है वह या रम्भा।
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