देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

नव यौवन (कविता)

नव यौवन की नवल राह पर,
नवल स्वप्न की कलिका।
नव्य नवेली नयन नशीली,
नीरज मुख की मलिका।

गज गामिनि वह दर्प दामिनी,
कल-कल करती सरिता।
निर्झरिणी सी झर-झर झरती,
वह कविवर की कविता।

कोमल किसलय कुमकुम जैसी,
कनक कामिनी वनिता।
कोकिल कंठी कमल आननी,
वह प्रभात की सविता।

मृगनयनी वह मधुर भाषिणी,
पुष्पगुच्छ की लतिका।
कुंचित कृष्ण केश सिर शोभित,
वह कृष्ण नाग की मनिका।

रूपवती वह राग रागिनी,
वह ही रजनीगन्धा।
राधा रिद्धिमा रंग रँगीली,
रति है वह या रम्भा।


लेखन तिथि : 20 मई, 2019
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें