देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

महँगा न्याय (नवगीत)

बर्तन, भाड़े,
घर गिरवी,
कोर्ट खींचता खाल!

मिलें प्रकरण
पर तारीख़ें!
घनचक्कर
यहीं से सीखें!

मुक़दमेबाजी
हुई है अब
जी का जंजाल!

कोर्ट है,
पुलिस है,
चोर है!
आपस में
जुड़ती
डोर है!

देख महँगा न्याय
बूझे
विक्रम से बेताल!


लेखन तिथि : 14 अप्रैल, 2019
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें