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मातृभूमि के प्राण प्रणेता (कविता)

कह रहा इतिहास–
अंग्रेज आए थे भारत में,
ना डरी झाँसी की रानी,
अंग्रेजों को रण में धूल चटा दिए।
भाग जाओ ओ गोरे लोगों,
मेरी मातृभूमि से कह हाथ में तलवार उठा लिएँ।
रानी लक्ष्मीबाई की शौर्य वीरता ने
एक नया इतिहास लिखा,
लड़ते-लड़ते शहीद हुई मर्दानी और निडरता का पाठ लिखा।

आधुनिक युग में सब की ज़ुबानी,
चंद्रशेखर आज़ाद और भगत सिंह की वीरता की कहानी।
दोनों के रगों में क्रांतिकारी भावनाओं का उबाल था,
मातृभूमि की रक्षा के लिए उनका जीवन क़ुर्बान था।

आज के वीर जवानों ने भी अपने प्राण गवाएँ हैं,
कभी सीमाओं पर, तो कभी बर्फ़ीले पर्वतों पर दुश्मनों से लोहा लेते नजर आएँ हैं।
देशभक्ति ही जिनका काम है,
मातृभूमि के ऐसे प्राण प्रणेताओं को मेरा बारंबार प्रणाम है।
जय हिंद की सेना!


लेखन तिथि : 2021
            

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