रोम-रोम तनु राममय, भक्त राम हनुमान।
भोर भयो सुमिरन करूँ, मंगलमय सब काम।।
रोग शोक परिताप सब, मिटे सकल संसार।
आंजनेय प्रभु चित्त धर, महिमा अपरम्पार।।
पवनपुत्र कपि महाबली, एकादश अवतार।
चिरंजीव आराध्य कलि, करुणाकर सुखसार।।
महावीर बजरंगबलि, हरो जगत संताप।
कोराना से मुक्ति कर, आज बना अभिशाप।।
जय कपीश हर आपदा, दीन दुखी लाचार।
धीर वीर मति अतिबली, कर भक्तन उद्धार।।
खग मृग नर मुनि देव जन, सदा करें तव ध्यान।
प्रेम भक्ति मय परसुखी, दो सबको वरदान।।
प्रगति शान्ति सुख लोक में, मन निकुंज अभिलास।
रामराज्य भारत पुनः, मारुत तुम बस आस।।
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