पुष्पों का
ऋतु से
अभिसार हो रहा।
आज कई
रंगों मे
खिले कचनार।
है ढाक
मधुऋतु में
लुटा रहा प्यार।।
बगीचा-
फूल का
बाज़ार हो रहा।
मौसम में
रंग उड़ेल
रहे टेसू।
श्वेत-श्वेत
दिखते सेमल
के गेसू।।
अनोखे-
नशे में
मंदार हो रहा।
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