माँ शेरा वाली,
तेरी महिमा है निराली।
सारें जग की तुम महारानी,
कोई तेरे दर से ना जाएँ खाली।।
तेरे रूप है अनेंक,
ध्यावें ब्रह्मा विष्णु महेश।
मिटावें पल-भर में ही कलेश,
वो रिद्धि-सिद्धि गजानन गणेश।।
तेरे भक्त हम सारे,
करुणा भाव रखना हमारे।
चैत्र नवरात्रि में घर-घर पधारें,
बिगडे़ काज सभी के तू सँवारे।।
माँ दुर्गा तेरे नौ रूप,
शैलपुत्री चन्द्रघंटा कालरात्रि।
महागौरी ब्रह्मचारिणी स्कंदमाता,
कात्यायनी कूष्माण्ड़ा सिद्धिदात्रि।।
शक्ति स्वरूपा माँ दुर्गा,
करतें विशेष नवरात्रि पूजा।
अष्ठ भुजा की तेरी मूर्ति बैठातें,
सारे वेद पुराण भी तेरे गुण गातें।।
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