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माँ की ममता (कविता)

नज़र खुली तो तुझको देखा,
तुझ में मैंने जग को देखा।
ईश्वर अल्लाह तू ही है माँ,
तुझ में मैंने रब को देखा।

तेरा रात भर जागकर मुझे सुलाना,
अपने हाथों से मुझे खिलाना।
मुझे आज भी याद है माँ,
तेरा पापा के डाँट से मुझे बचाना।

तेरी ममता है अनमोल,
नहीं तौल सकूँगा मोल।
दस जीवन भी कम है माँ,
इस जीवन का क्या है मोल।

हे ईश्वर बस इतना करना,
मेरी माँ को सलामत रखना।
पूजा करूँ जब भी मै तेरी,
तू मेरी माँ के रूप मे दिखना।


रचनाकार : दीपक झा 'राज'
लेखन तिथि : 9 मई, 2021
            

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