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लोग (कविता)

दुनिया की ख़ुदग़र्ज़ी देखी,
हर बातों पर मर्ज़ी देखी।
तोहमत जड़ते दूसरों पर,
देते दलील फ़र्ज़ी देखी।

जो लोग बहुत क़ाबिल होते,
बर्ताव बड़े आदिल होते।
फ़ितरत से वो ज़हीन दिखते,
इल्म अदब के फ़ाज़िल होते।

मसला भले ही गंभीर हो,
हाकिम हो या वह फ़क़ीर हो।
संजीदा रहे हर हाल में,
चाहे ग़रीब या अमीर हो।

वह बेहतर शख़्सियत होती,
ख़ुशदिल जिसकी तबियत होती।
रिवायतों को अनदेखा कर,
हर कदम बस सआदत होती।।


रचनाकार : सीमा 'वर्णिका'
लेखन तिथि : 23 सितम्बर, 2021
            

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