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लाल बहादुर शास्त्री (कविता)

सीधा सच्चा जिनका था जीवन,
कष्ट भरा जीवन था आजीवन।
बाधाओं से था भरा उनका जीवन,
कर्तव्य पथ पर टिके थे आजीवन।

तपस्वियों जैसा पाया था जीवन,
सर पर चमकती ज्ञान की ज्वाला।
सोने जैसा उनका था यह जीवन,
पहनी थी सच्चाई की फूलमाला।

देखी थी ग़रीबी बहुत जीवन में,
निर्धन से छोड़ा नहीं अपनापन।
त्याग भाव से थे वो ओतप्रोत,
संस्कारों पर चले थे आजीवन।

दिया विश्व को शांति का संदेश,
मन में लेकर युद्ध का साहस।
विश्व शांति के ही प्रयोजन में,
त्याग दी उन्होंने अंतिम साँस।

"जय जवान जय किसान",
नारा दिया जग को महान।
जवान हमारे देश की शान,
किसान उगाते खेतों में धान।

पैदा हुए उसी दो अक्तूबर के दिन,
बापू ने लिया था जिस दिन जन्म।
भारत पाकिस्तान के युद्ध संदर्भ में,
तोड़ दिया विश्व का झूठा भ्रम।

एक राष्ट्र भारत, अपने आप में एक,
आस्था और विश्वास के भाव थे अतिरेक।
भाषा और भाव जहाँ, है अति अनेक,
दिल में बसते लाल के, भाव सदा ही नेक।

था यही दृढ़संकल्प उनका,
भारत ने पाक को हराया था।
पूरे विश्व में लाल तुमने,
शौर्य का परचम लहराया था।

गए थे ताशकंद शांतिदूत बनकर,
मिल गई शास्त्री को चिर शांति।
अंतिम साँस छोड़ दी लाल ने,
शांतिदूत के मन को मिली कांति।

चेहरे पर था उनके ओज और तेज,
छोटा कद था पर व्यक्तित्व महान।
सत गुणों से भरा जीवन था उनका,
भारतीय संस्कृति की महान संतान।

है आज शास्त्रीजी का जन्मदिन,
राष्ट्र कर रहा उनको नमन।
पहनाया विश्व को शांति का आभूषण,
दिया राष्ट्र को शांति का चमन।


लेखन तिथि : 2 अक्टूबर, 2021
            

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