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लक्ष्मीबाई (कविता) Editior's Choice

मणिकर्णिका बन लक्ष्मिबाई,
पग धरणि पर धर दिया।

मानो स्वयं ही दुर्गमा ने,
जन्म धरती पर लिया।

सुघड़ता में लक्ष्मि जैसा,
रूप प्रभु ने था दिया।

शौर्य, साहस शक्ति से,
माँ शक्ति ने सजा दिया।

माँ भारती की भक्ति हित,
थे प्राण अर्पण कर दिया।

ये वीरता की अमिट गाथा,
को नया दर्पण दिया।

नारी शक्ति अटल योद्धा,
की अमर मिसाल वह।

क्रांति देवी रूप में थीं,
शत्रुओं का काल वह।

निर्बल नहीं नारी कभी,
संदेश दुनिया को दिया।

गौरव बढ़ाकर देश का,
यह विश्व में साबित किया।


लेखन तिथि : 11 नवम्बर, 2021
            

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