जय मोहन माधव श्याम हरे।
मधुसूदन रूप ललाम धरे।।
धर ध्यान करूँ विनती मन से।
अँधियार मिटे इस जीवन से।।
प्रभु निर्मल उच्च चरित्र रहे।
मन पावन पुण्य पवित्र रहे।।
सब दूर करो कटुता मन की।
प्रभु चाह नही मुझको धन की।।
दुखदायक रोग विषाद हरो।
गुण ज्ञान निधान प्रकाश भरो।।
भव से कर दो अब पार प्रभो।
जग के तुम पालनहार बिभो।।
वृषभान लली तुम प्राण प्रियं।
रहते तुम भक्तन के हृदयं।।
कर जोड़ करूँ प्रभु का वरणं।
अब केशव माधव लो शरणं।।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें