राधा गुनगुना रही मन में गान,
सुना दो कान्हा मुरली की तान।
जन्माष्टमी का दिन है आज,
बज रहें मुरली, मृदंग और साज।
हँस-हँस कर दिखाता दाँत,
करता बहुत ही मीठी बात।
मक्खन यह चुरा ले जाता,
चेहरा इसका मन मोह लेता।
माथे पर मोरपंख सजाए,
देखो कान्हा मुरली बजाए।
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