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कृष्ण जन्माष्टमी (कविता)

राधा गुनगुना रही मन में गान,
सुना दो कान्हा मुरली की तान।

जन्माष्टमी का दिन है आज,
बज रहें मुरली, मृदंग और साज।

हँस-हँस कर दिखाता दाँत,
करता बहुत ही मीठी बात।

मक्खन यह चुरा ले जाता,
चेहरा इसका मन मोह लेता।

माथे पर मोरपंख सजाए,
देखो कान्हा मुरली बजाए।


लेखन तिथि : 30 अगस्त, 2021
            

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