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कू-ए-बुताँ तक फिरूँ आराम-ए-जाँ की ख़्वाहिश लिए (शेर) Editior's Choice

कू-ए-बुताँ तक फिरूँ आराम-ए-जाँ की ख़्वाहिश लिए,
वर्ना मैं निकलूँ भी तो घर से कहाँ की ख़्वाहिश लिए।


लेखन तिथि : 20 अगस्त, 2021
            

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