देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

ख़ुदकुशी क्यूँ की? (कहानी)

27 वर्षीय रोहित सरकारी बैंक में मैनेजर के पद पर तैनात था, जिसका विवाह 2 वर्ष पूर्व ख़ूबसूरत दीपिका से हुआ था। दोनों का वैवाहिक जीवन अच्छा चल रहा था वे दोनों भोपाल के अच्छे इलाक़े में किराए के घर में रह रहे थे। पिछले दो माह से दीपिका गर्भवती थी दीपिका ने ये नई शुभ ख़बर रोहित को सरप्राइज गिफ़्ट के तौर पर उसके जन्मदिन पर एक सुंदर सजीले लेटर के माध्यम से दी। दोनों की ख़ुशी का कोई ठिकाना ना रहा, सब कुछ ठीक चल रहा था। वे दोनों अपने जीवन में बहुत सुखी थे
मगर वक़्त का पता ही नहीं चलता कि कब किसके जीवन पर ग्रहण लगा दे।

कुछ दिनों के बाद बैंक में एक नई असिस्टेंट मैनेजर की तैनाती हुई जो देखने में काफ़ी हसीन और स्वभाव से बहुत चुलबुली थी। नव्या नाम था उसका, अपनी शोख़ियाँ और अदाएँ दिखाकर पुरुष वर्ग को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करना उसकी आदत थी और उसकी आदत सफल भी रहती थी। महिला कर्मचारियों उसे देख कर उसके सौंदर्य से और लोगों के द्वारा जो उसे अटेंशन मिलता था उस वजह से ईर्ष्या करने लगी थी, क्योंकि बैंक के सभी पुरुष कर्मचारी उसे कुछ ज़्यादा ही तवज्जोह देते थे।

रोहित बैंक में मैनेजर था और नव्या असिस्टेंट मैनेजर अतः काम के सिलसिले में दोनों का एक-दूसरे से संपर्क व वार्तालाप स्वाभाविक ही था।
कुछ ही समय में नव्या अपने लटको झटको से मैनेजर रोहित को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास यह जानते हुए भी करने लग गई कि वह पहले से ही शादीशुदा था।
रोहित अपने वैवाहिक जीवन को नज़रअंदाज़ करके उसके सौंदर्य जाल में फँसता चला गया रोहित उसे मन ही मन उससे प्रेम करने लगा, जिस दिन वह ऑफ़िस नहीं आती रोहित की बेचैन आँखें उसे तलाश करती थी।

1 दिन रोहित ने नव्या को चाय पीने साथ चलने को कहा अतः दोनों एक साथ चाय पर गए।
वहीं पर नव्या ने रोहित को प्रपोज़ किया रोहित का तो जैसे यही मन था जो उसने मुँह की बात छीन ली और ख़ुद ही बोल दिया जो रोहित बोलना चाहता था। इज़हारे इश्क के बाद दोनों रोज़ कहीं बाहर ऑफ़िस टाइम के बाद मिलने लगे और एक दूसरे के प्यार में दोनों दिन-ब-दिन खोने से लगे।

इधर रोहित का कुछ बदला सा व्यवहार और ऑफ़िस से थोड़ा देरी से आना, उसकी पत्नी को नागवार गुज़रा, उसके मन में कुछ अजीब अनहोनी की आशंका घर कर रही थी, जब दीपिका पूछती कि जानू आप आजकल देर से आ रहे हो घर में नन्हा मेहमान आने वाला है आपको तो कुछ और जल्दी आ जाना चाहिए मेरी तबीयत भी आजकल कुछ सही नही रहती है, तो इस पर रोहित ओवरटाइम ड्यूटी का बहाना बना लेता था लेकिन सच्चाई ज्यादा दिनों तक नहीं छुपती, यह भी एक नितांत सत्य है। रोहित के व्यवहार में बेपरवाही भी झलक रही थी जो रोहित सिर्फ़ पत्नी की ख़ुशी के लिए कुछ दिन पहले तक जी जान निछावर करता था वही रोहित बदल चुका था उसका व्यवहार एकदम ग़ैरों जैसा होने लगा था जो उसकी पत्नी बड़ी आसानी से पढ़ रही थी।

1 दिन रोहित ने उससे कहा कि मुझे कुछ ऑफिस के काम से कुछ दिनों के लिए बाहर जाना है अतः तुम अपने मायके जाकर डिलीवरी करवा लो वहाँ तुम्हारी देखभाल भी ठीक से हो जाएगी तो इस पर दीपिका बोली कि इस समय सबसे ज़्यादा मुझे आपके प्यार और साथ की ज़रूरत है ऐसे में आप ऐसा कहते हो, आपको शर्म आनी चाहिए। फिर आए दिन दोनों में झगड़े शुरू हो गए 1 दिन तो हद ही हो गई जब रोहित शराब के नशे में धुत, नव्या के साथ देर रात बिता कर काफ़ी देर से घर लौटा तो उसके शर्ट पर लिपस्टिक के निशान देखकर दीपिका बिफर पड़ी और बोली अब तो तुम्हारी सच्चाई पकड़ी गई... ओह, यही तुम देर तक ऑफिस में काम करते हो यही है तुम्हारा ओवर टाइम और उसको लिपस्टिक दिखाती हुई बोली कि बताओ तुम्हारा आजकल किस से चक्कर चल रहा है।
तो रोहित कहता है हाँ चल रहा किसी से अफेयर चल रहा है जो करना है कर लो।
तुम अपने घर क्यों नहीं चली जाती तुम जा सकती हो अपने घर वापस।
दीपिका कहती है कि अब यही मेरा घर है मैं कहीं जाने वाली नहीं मैं यही जियूँगी यही मर जाऊँगी। तो रोहित कहता है कि तुम नहीं गई तो मैं ही चला जाऊँगा यहाँ से।

इधर रोहित नव्या से इतना ज्यादा आकर्षित हो चुका है जैसे उसके प्यार में पागल सा हो रहा है और उसके बिना जीना भी मुश्किल सा प्रतीत होता था।
रोहित ने एक शाम नव्या के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा तो नव्या ने कहा कि हरगिज़ नहीं, पहले तुम अपनी पत्नी को तलाक़ दो उसके बाद विवाह की बात करना।
इस पर रोहित ने आश्वासन दिया कि बिल्कुल सब वही करूँगा जो तुम कहोगी जो तुमको पसंद होगा।
तब रोहित ने घर आकर अपनी पत्नी से प्यार का नाटक करना शुरू किया और उसे पूरी तरह कुछ ही दिनों में विश्वास दिलाने में सफल हो गया।
दीपिका को लगा कि सब कुछ ठीक है और वह किसी के चक्कर में नहीं है वह केवल अपनी प्यारी पत्नी दीपिका से ही प्यार करता है। और इस तरह से भोली भाली दीपिका भी उस पर बातों में आ गई और उसकी चाल को नहीं समझ सकी।
रोहित ने कहा चलो तुम्हारी अब डिलीवरी मायके में कराते हैं हम भी तुम्हारे साथ वहीं रुकेंगे, हम अकेले तुम्हारी देखभाल नहीं कर पाएँगे वहाँ तुम्हारी माता जी वगैरह...
इस तरह समझा-बुझाकर पत्नी को उसके मायके छोड़ आता है।
फिर वहाँ से अकेला ही कुछ काम का बहाना कर वापस आ जाता है, उसके कुछ दिनों बाद एक वकील की मदद से दीपिका पर तमाम घिनौने इल्ज़ाम लगाकर तलाक़ की नोटिस भेज देता है और रोहित अपनी सीधी-सादी सच्चा प्यार करने वाली पत्नी से यह सारी धोखेबाज़ी और जालसाज़ी उस रंगीली नव्या को पाने के लिए करता है। इधर दीपिका भी अपने पति द्वारा लगाए गए घिनौने इल्ज़ाम से इतना ज़्यादा आहत है कि वह नोटिस पढ़कर उसमें उसके साथ जीने से अकेले रहने का विचार बेहतर समझती है, क्योंकि वह एक स्वाभिमानी महिला है। उसने तलाक़ को स्वीकार कर अपनी सहमति से तलाक़ दे दी।अब रोहित आज़ाद है, वह ख़ुशी से फूला नही समाता है एवं सीधे अपनी ख़ूबसूरत महबूबा के पास विवाह का प्रस्ताव लेकर इंगेजमेंट की ट्रेडिशनल ड्रेस में अगले दिन ही पहुँच जाता है।
नव्या उस शहर में अकेली ही रहती थी, नव्या रोहित को विवाह के वेशभूषा में देखकर जोर से हँसती है फिर कहती है कि मैंने अपने परिवार से तुम्हारे साथ शादी के लिए काफ़ी पहले बात की थी तो मेरे घरवाले तुम्हारे तलाक़शुदा होने कारण तुम्हारे साथ मेरी शादी को तैयार नहीं है और मेरी शादी बेंगलुरु के एक साइंटिस्ट सौरभ से तय कर दी है अतः मैं मजबूर हूँ अब तुमको मुझे भूलना ही होगा। तो रोहित कहता है कि हम तुम्हारे बग़ैर जी नहीं सकेंगे, अभी चलो नव्या! हम दोनों मंदिर में शादी कर लेते हैं, तुम्हारे घर वाले शादी को तैयार नहीं है तो चलो हम दोनों शादी कर लेते हैं बिना किसी के परिवार के ही और देखो मैंने तुम्हारे लिए अपनी पत्नी और होने वाले बच्चों को भी त्याग दिया है।
तो नव्या कहती है मैंने तुमसे ऐसा करने को तो नही कहा इसमें मेरा क्या दोष। ये सब तुमने ख़ुद किया अब इसमें मेरी क्या ग़लती है।
रोहित शादी के लिए बहुत उत्सुक था वह सोचता था कि जल्दी से जल्दी शादी कर ले कहीं ऐसा ना हो कि नव्या की शादी दूसरी जगह हो जाए।
रोहित ने दिव्या से रोकर कहा कि मैं जान चुका हूँ तुम्हारे घर वाले मुझसे तुम्हारी शादी नहीं करेंगे अब हम दोनों एक मंदिर में शादी कर लेते हैं।
तो नव्या तैयार नहीं होती है और कहती है मैं ऐसे मंदिर में छुप के शादी क्यों करूँ मेरे माँ-बाप ने क्या इसलिए ही मुझे पाल-पोस कर बड़ा किया है कि मैं उनकी मर्ज़ी के बग़ैर चुपके से शादी कर लूँ, सॉरी रोहित मैं ऐसा नहीं कर सकती। तुम वापस चले जाओ।
तो वह कहता है कि नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकती हो नव्या, अब हम तुम्हारे बग़ैर जी नहीं पाएँगे। तुमने उस दिन कहा था कि तुम मेरे बग़ैर जी नहीं पाओगी, क्या वह सब झूठ था। रोहित बिल्कुल बाबरा सा दीवाना सा हो जाता है और कहता है आओ अभी इसी वक़्त हम दोनों एक दूसरे के साथ जान दे दे। यह दुनिया हमें साथ जीने नहीं दे रही आओ हम दोनों साथ-साथ मर जाएँ।
रोहित कहता है कि हम तुम्हारे दुपट्टे से फाँसी लगाते हैं और तुम यह मेरे अचकन से फाँसी लगा लो।
नव्या रोहित से कहती है कि चलो ठीक है तुम लो ये दुपट्टा। रोहित मरने के लिए तैयार हो जाता है और नव्या का दुपट्टा लेकर उसमें झूल जाता है। नव्या बस चुपचाप खड़ी देखती रहती है। उसे कतई मना भी नहीं करती और वहाँ से चली जाती है।

उसके बाद कुछ दिनों के बाद उसकी शादी उसके माता-पिता बेंगलुरु के साइंटिस्ट से कर देते हैं।
इधर रोहित की मृत्यु हो जाती है और उसकी आत्मा उसके शरीर से निकल जाती है और वह नव्या का पीछा करते-करते उसके इर्द-गिर्द घूमती है और देखती है कि नव्या की शादी हो रही है वह ख़ुशी-ख़ुशी शादी कर रही है, तब भी उसको यक़ीन नहीं होता वह सोचता है कि शायद मजबूरी में आकर शादी कर रही होगी और इसीलिए अपने माँ-बाप का दिल रखने के लिए। इसलिए उसने मेरे साथ जान नहीं दी।

उसके बाद रोहित की आत्मा नव्या का पीछा करते-करते वही पहुँच जाती है जहाँ वह अपने पति के साथ हनीमून पर नैनीताल गई है।
वहाँ पहुँच कर रोहित उसको छूने की कोशिश करता है, वह उसे अब भी अपनी दुल्हन समझता है, तब उसको अहसास होता है कि वह मर चुका है और वह एक आत्मा है वह कुछ नहीं छू नहीं सकता। उसके बाद वह देखता है कि नव्या वही सारी प्यार भरी बातें अपने पति से करती है जो पहले कभी रोहित से किया करती थी और ये सब बेवफ़ाई और दिव्य का दोहरा नाटकीय चरित्र देखकर उसकी आत्मा फूट फूट कर रोती है। उसकी आत्मा नव्या और उसके पति के रोमांस को देखकर बहुत क्रोधित हो जाती है, सारी बातें सुनकर रोहित का मन नव्या की बेवफ़ाई से तड़प उठता है। जिसके कारण उसने अपने सारे परिवार को उजाड़ दिया, अपनी मासूम सीधी-सादी सच्चा प्यार करने वाली पत्नी को धोखा दिया, अपने उस बच्चे को जो दुनिया में अभी आया भी नहीं उसको बिना किसी ग़लती के सज़ा दी।
अपना सबकुछ घर संसार जिस नव्या को पाने के लिए किया वह कितनी क्रूर और बेवफ़ा और स्वार्थी निकली।
और यही सोचकर वह आत्मा नव्या की गर्दन दबाने के लिए हाथ बढ़ाती है परन्तु तभी उसको एहसास होता है कि नहीं नहीं इसमें सारी गलती नव्या की ही नहीं सारा दोष उसका नहीं। उसकी ग़लती तो बराबर ही थी।
अतः उसको मारने को बढ़े हाथ पीछे खींच कर वहाँ से ख़ुद को हटा लेता है और उसकी भटकती आत्मा हवा में कहीं खो जाती है।


लेखन तिथि : 5 जून, 2021
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें