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कविता (कविता)

कविता मुहब्बत की ज़ुबान है।
कविता बलिदान शौर्य गान है।।
घृणा उकसावे से दूर,
मानवता से भरपूर,
साहित्य की यह सच पहचान है।
संवेदना धरातल टिकी शान है।।
जाति धर्म सम्प्रदाय से दूर,
भाषा वर्ण अभिप्राय न कूर,
कट्टरता जड़ों में मठ्ठा समान है।
कविता मुहब्बत की ज़ुबान है।।
करुणा दया से परिपूर्ण,
शृंगार रस भी भरपूर,
कविता ज़ख़्म मरहम समान है।
हरदिल अज़ीज़ यह ज़ुबान है।।
ओज प्रचंड वेग चूर,
हास्य-व्यंग से भरपूर,
मानवीय दृष्टिकोण अपार है।
साश्वत बह रही काव्य रसधार है।।
समाजिक परंपरा आडंबर,
राजनीति छल कपट बवंडर,
कविता मुखर हर ज़ुबान है।
संस्कृति संस्कार सम्मान है।।
कवि ह्रदय चिंतन मनन,
सारगर्भित शब्द चयन,
कविता में निहित आधार है।
देवनागरी में व्यापक सार है।।
साधना है कविता नहीं कोई व्यापार है।
अंतर्मन कवि वेदना-संवेदना संसार है।।


लेखन तिथि : 3 नवम्बर, 2020
            

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