करवा चौथ पर सभी औरतें, कर रही अद्भुत शृंगार,
कर रही माता करवा की अर्चना, मिलेगी माँ की कृपा अपरंपार।
लड़कियाँ कर रही माँ करवा से मिन्नतें, सलामत रहे सपनों का राजकुमार,
माँ करवा आई धरती पर, दे रही सबको आशीष अपार।
आँगन में बैठी सज-धज कर औरतें, कर रही चाँद की प्रतीक्षा,
न जाने आज चाँद, क्यों ले रहा उनके धैर्य की परीक्षा।
दिख जाता चाँद कहीं, तो सफल हो जाती संस्कारों की दीक्षा,
प्रफुल्लित हो उठती वह, अगर पूरी हो जाती चाँद को देखने की इच्छा।
रहती सुबह से भूखी प्यासी, करती पति की लम्बी उम्र की कामना,
सजती सँवरती दुल्हन जैसी, चाँद के अप्रतिम दर्शन की चाहना।
बादलों में छिपते छुपाते चाँद के, काश हो जाए दर्शन,
चाँदनी देखकर चाँद को ऊपर, करती धरती पर ख़ुद को अर्पण।
कैसा अद्भुत रिश्ता है यह, करवा चौथ जिसे देता परवान,
देखकर आसमाँ के उस चाँद को, पाती अपने चाँद के प्राण।
पति पिलाता पत्नी को जल, मुँह में देता रोटी का निवाला,
कैसा है यह दो दिलों का स्नेह, कैसी यह सुखद प्रेम की ज्वाला?
चाँदनी का कोमल दुर्लभ सा अंतर्मन, ख़ुशियों से झूम गया,
बादलों की ओट में छिपा चाँद, जब सहसा ही दिख गया।
चाँद ने करवा चौथ के दिन, चाँदनी के कपोलों को जब चुम लिया,
कैसा अद्भुत मिलन है यह, आसमाँ भी अभिभूत हो गया।
हर तरफ़ पड़ रही चाँदनी, श्वेत धवल हो रहे धरती और अम्बर,
धरती अम्बर भी एक हो रहे आज, भूल गए सारे आडम्बर।
आई अद्भुत यह मिलन की बेला, दृश्य यह बड़ा दुर्लभ अभिराम,
तारों की बनी पवित्र वरमाला, पुरे होंगे आज प्यार के अरमान।
नदी भी बढ़ रही समंदर की ओर, होगा दोनों का मिलन,
नदी होगी समंदर में समाहित, करेंगे एक दूसरे का आलिंगन।
कैसा अप्रतिम वह पल होगा, जब करेगा समंदर नदी का आचमन,
भूल कर पुरे संसार को, लेंगे दोनों एक दूसरे का चुम्बन।
चाँदनी रात के मोहपाश में, तितलियाँ भी हो रही प्रेम में आतुर,
बढ़ रही फूलों की ओर, अद्भुत होगा वह क्षण, जब होगा चश्म-ए-बद-दूर।
फूल दे रहे स्नेह निमंत्रण, तितलियाँ हो रही प्यार में मगन,
आई मिलन की बेला, खिलेगा आज रात बागों में चमन।
चारों तरफ़ है प्यार की ख़ुमारियाँ, प्रकृति भी भरमा रही,
पेड़ों की सुन सरसराहट, प्रकृति भी लाज से शरमा रही।
क्यों न करलें हम भी मिलन, यही बात दिल में समा रही,
प्रकृति ले रही पेड़ों का चुम्बन, अद्भुत प्यार का अहसास थमा रही।
प्रीत की दुर्लभ झाँकियाँ देख, मन हुआ आज बड़ा पुलकित,
पशु पक्षी सब चहक रहें, प्रभु भी हो रहे बड़े अकुलित।
राधा ने कृष्ण के लिए रखा आज व्रत, गोकुल हुआ आनंदित,
कृष्ण बजा रहा प्रेम की बाँसुरी, तन मन सब आज हुआ प्रफुल्लित।
एक सवाल आज उठ रहा मन में, क्यों रखती औरत ही यह व्रत?
कष्ट तो जीवन में दोनों को आते, औरत पर भी आ सकती आफ़त।
हर नियम चाँदनी पर ही लागू, तकती रहती चाँद की राहें,
क्यों यह व्रत चाँदनी ही रखती, चाँद भरता रहता आहें।
करवा चौथ के इस पवित्र पर्व पर, मन हो रहा बड़ा विह्वल,
नमन करता हुँ हर नारी को, जब देखता हुँ नारी का मनोबल।
सदा करती नारी ही त्याग, कैसी प्रबल है यह प्यार की भावना,
सातों जन्म निभे यह सम्बन्ध, यही करता हुँ मैं कामना।
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