कुशीनगर, उत्तर प्रदेश | 1911 - 1987
पहाड़ नहीं काँपता, न पेड़, न तराई, काँपती है ढाल पर के घर से नीचे झील पर झरी दिए की लौ की नन्ही परछाईं।
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