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जीवन का सच (कविता)

जीना है तो इस पल में जी लो,
कल का नहीं भरोसा है।
ग़म सहकर जो ख़ुशियाँ ली है,
किसने उसको देखा है।

कल क्या होगा नहीं पता,
कल के सपने क्यों जीते हो।
हर पल को मधुर बना लो,
जीवन का नहीं भरोसा है।

प्रेम से दो पल तो जी लो,
विष का प्याला फीका है।
जो दिया है वही मिलेगा,
जो लिया रह जाना है।
प्रेम के दो बोल ही बोलो,
कल को जग से चले जाना है।


रचनाकार : दीपक झा 'राज'
लेखन तिथि : 5 मार्च, 2003
            

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