पग-पग जीवन गलियारों में,
हमने भी संघर्ष लिखा।
पीड़ाओं के प्रथम द्वार पर,
जीवन का निष्कर्ष लिखा।
लिखा भाग्य का सूखा घट वह,
और जीवन अनुबंध लिखा।
हृदय वेदना की रेखा पर,
संबंधों का छंद लिखा।
लिखा कर्म का समय शेष वह,
दिवस, मास और वर्ष लिखा।
पीड़ाओं के प्रथम द्वार पर,
जीवन का निष्कर्ष लिखा।
लिखा सवेरा आशाओं का,
और तिमिर का दीप लिखा।
जीवन रूपी सिन्धु वाला,
वह मोती का सीप लिखा।
लिखा है काँटों में अवसर वह,
नई दिशा उत्कर्ष लिखा।
पीड़ाओं के प्रथम द्वार पर,
जीवन का निष्कर्ष लिखा।
लिखा है अर्धविराम यहाँ वह,
नहीं जीवन पूर्ण विराम लिखा।
लहरों सी अभिलाषा लिख दी,
जीवन एक संग्राम लिखा।
जीवन का जीवित वन लिखकर,
कल्पित मन का हर्ष लिखा।
पीड़ाओं के प्रथम द्वार पर,
जीवन का निष्कर्ष लिखा।
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