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जब तेरी याद आती है (गीत)

जब-जब आँखें नीर बहाए,
सपनों में तुझको न पाए।
यही सोचकर घबराए, कि
तू उससे कहीं दूर न जाए।

हृदय ये भाव जगाती है,
जब तेरी याद आती है।

इश्क़ में जन्नत क्या है?
इसको न वो समझ पाए।
हर-पल गहराई में डूबकर,
दर्द व ग़म को अपनाए।

ये न कभी बताती है,
जब तेरी याद आती है।

कैसे ये सब होता है!
हृदय में दर्द पिरोता है।
फिर मिलने की चाहत होती,
सोच ये मन को बहकाए।

सूरत उभर तब आती है,
जब तेरी याद आती है।

कितना इसमें है आकर्षण,
पाकर मिलता प्रतिकर्षण।
इक कसक देकर ये तो,
पागल-सा ही कर जाए।

बेचैनी और बढ़ाती है,
जब तेरी याद आती है।

यह ऐसा एक लड्डू है,
रसना से लार टपकाए।
खाकर है इसका असर,
कि, जीवन-पर्यन्त पछताए।

तब सपनें भी डराती है,
जब तेरी याद आती है।


रचनाकार : प्रवीन 'पथिक'
लेखन तिथि : 1 जून, 2012
            

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