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इश्क़ से गर यूँ डर गए होते (ग़ज़ल)

इश्क़ से गर यूँ डर गए होते।
छोड़ कर यह शहर गए होते।।

मिल गए हमसफ़र से हम वर्ना,
आज तन्हा किधर गए होते।

होश है इश्क़ में ज़रूरी अब,
बे-ख़ुदी में तो मर गए होते।

यूँ कभी याद चाय की आती,
और हम तेरे घर गए होते।

वक़्त मिलता नहीं हमे अब तो,
"अर्श" थोड़ा ठहर गए होते।


लेखन तिथि : 5 अप्रैल, 2021
अरकान : फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
तक़ती : 2122 1212 22
            

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