देशभक्ति / सुविचार / प्रेम / प्रेरक / माँ / स्त्री / जीवन

इंसान नहीं हम पंछी हैं (गीत)

इंसान नहीं हम पंछी हैं,
हम ताल-मेल कर लेते हैं। 2
है कौन सिखाता ज्ञान हमें,
पर मेल-जोल कर लेते हैं। 2

मिलजुल कर हम सब रहते हैं,
सब एक दिशा में उड़ते हैं।
ख़ुद की मेहनत का खाते हैं ,
पर आसमान छू लेते हैं।

इंसान नहीं... 2
है कौन सिखाता... 2

कुदरत के नियम निभाते हैं,
जीवन का गीत सुनाते हैं,
भोजन अपना ख़ुद लाते हैं,
घर अपना ख़ुद बुन लेते हैं।

इंसान नहीं... 2
है कौन सिखाता... 2

हम नही किसी को छलते हैं,
ना रूप बदल कर मिलते हैं,
आपस मे प्यार निभाकर के,
हम जीवन को जी लेते हैं।

इंसान नहीं... 2
है कौन सिखाता... 2


लेखन तिथि : 2 जनवरी, 2020
            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें