हैं टेसू, सेमल और आम
निखर-निखर जाएँ।
डूब गया ख़ुद में
तन्हा है महानगर।
लोगों की पीड़ा की
मिलती नहीं ख़बर।।
होली के सातों रंग
जीवन में बिखर जाएँ।
अमराई मधुऋतु की
ले रही बलैंया।
महक उठी है ख़ुशबू से
महुवा की छैंया।।
ढह बुराई के अगर
गगनचुंबी शिखर जाएँ।
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