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है मर गया आँख का पानी (गीतिका)

है मर गया आँख का पानी,
बाग सरीखी नष्ट जवानी।

ख़ुशी मिली रस्ते में मुझको,
दिखती थी वो कुबड़ी कानी।

झुग्गी के ख़्वाबों में अक्सर,
दिखता है जीवन लासानी।

बदगो सच्चाई के आगे,
हुआ शर्म से पानी पानी।

पैसा फेंक तमाशा देखो,
ऐसी है ये राम कहानी।


लेखन तिथि : 21 अक्टूबर, 2019
आधार छंद : चौपाई
            

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